दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 6 फरवरी, 2021 को पूरे देश में राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों को 12:00 बजे से 3:00 बजे तक बंद करने का आह्वान किया था, ताकि पूरे देशभर में किसानों और मजदूरों की एकता को प्रदर्शित किया जा सके। इसी कड़ी में कल पटना के डाक-बंगला चौराहे पर भगत सिंह छात्र युवा संगठन, बिहार निर्माण व असंगठित श्रमिक यूनियन समेत अन्य किसान-मजदूर संगठनों ने भी केंद्र सरकार की तीन कृषि कानूनों और चार श्रम संहिताओं का विरोध किया। एक घंटे तक सड़क जाम किया गया। इस बीच तीन कृषि कानूनों और चार श्रम संहिताओं के खिलाफ नारे लगाए गए और मोदी की तानाशाही सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज करने का आह्वान किया गया। संगठन के कुछ साथियों ने अपनी-अपनी बात रखी। हमारे साथी पवन कुमार ने कहा कि तीन कृषि कानून किसान नहीं पूंजीपति वर्ग के हित में लाए गए हैं। यह मोदी सरकार इन तीन कृषि कानूनों के जरिए किसानों की जमीन छिनकर पूंजीपतियों को देना चाहती है और किसानों को मजदूर बनाकर उन्हें पूंजीपति वर्ग का गुलाम बना देना चाहती है। इस देश की आजादी के सत्तर साल गुजार गए, लेकिन फिर भी इस देश में गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसी समस्याओं को हल नहीं किया जा सका है। अभी तक की सभी सरकारों ने इस देश की जनता को बर्बाद ही किया है। इसीलिए हमें भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों से प्रेरणा लेकर सरकार नहीं पूंजीवादी व्यवस्था को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। इसी से किसानों, मजदूरों और छात्रों का जीवन बेहतर हो सकता है।
इसी तरह से अन्य साथियों ने भी पूंजीपति वर्ग के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। आगे भी इस किसान आंदोलन को जारी रखने और चार श्रम संहिताओं के खिलाफ भी मजदूरों को एकजुट करने का निश्चय किया गया। भगत सिंह छात्र युवा संगठन की ओर से जारी एक पर्चे का वितरण भी किया गया। अंत में एक क्रांतिकारी गीत 'जोगिरा सरा...ररा....' के साथ रोड जाम के कार्यक्रम को समाप्त किया गया। हमारा यह विरोध प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और अहिंसक रहा।
इंकलाब जिंदाबाद! किसान-मजदूर-छात्र एकता जिंदाबाद!!
पूंजीवाद-साम्राज्यवाद मुर्दाबाद!!!
वैज्ञानिक समाजवाद जिंदाबाद!!!!
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