सेवा में,
सभी अखबारों के संपादक महोदय!
विषय- तीन मई को सूरत (गुजरात) में मजदूरों पर हुए लाठीचार्ज तथा चार मई को कर्नाटक सरकार द्वारा श्रमिक ट्रेन को रद्द कर मजदूरों को एक प्रकार से बंधक बनाकर रखने के संदर्भ में।
महाशय,
पिछले तीन मई को गुजरात के सूरत शहर में वहां के मकान मालिकों के खिलाफ प्रवासी मजदूर सड़क पर उतर आए, क्योंकि वहां के मकान मालिक उनसे जबरदस्ती किराया वसूल कर रहे हैं। सरकार ने मकान मालिकों का पक्ष लेते हुए मज़दूरों पर लाठियां चलाई और उन्हें खदेड़-खदेड़ कर पिटा। यह बहुत ही शर्मनाक और अमानवीय घटना है। हम इसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हैं और बिहार राज्य सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं।
प्रवासी मजदूरों ने अपने-अपने राज्य सरकारों से वापस बुलाने की गुहार लगाई थी। इसलिए विभिन्न मजदूर संगठनों, बुद्धिजीवियों तथा रवीश कुमार जैसे पत्रकारों के दबाव में आकर सरकार ने बसों एवं ट्रेनों से मजदूरों को वापस लाने का निर्णय किया है। लेकिन अपनी मुनाफाखोर संस्कृति के कारण मजदूरों की इतनी दयनीय दशा में भी सरकार उनसे किराया वसूल रही है। इस पर भी 5 मई को कर्नाटक सरकार ने दक्षिण-पश्चिम रेलवे के श्रमिक ट्रेन को बिहार आने से रोक दिया है और उस पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने यह प्रतिबंध वहां के बिल्डर पूंजीपतियों के कहने पर लगाया है जो चाहते हैं कि मजदूर वापस घर नहीं जाएं और इस लॉकडॉन की स्थिति में भी उनके फैक्ट्री में जान हथेली पर रखकर काम करते रहें। यह उनकी अमानवीयता का चरम उत्कर्ष है।
हम भगत सिंह छात्र युवा संगठन की तरफ से गुजरात में हुए लाठीचार्ज तथा कर्नाटक में मजदूरों को घर आने से रोकने के निर्णय की निंदा करते हैं। हम केंद्र एवं राज्य सरकारों से मजदूरों के हित में निम्नलिखित मांग करते हैं -
1. पूंजीपतियों के कहने पर केंद्र सरकार 12 घंटे काम करने का जो अध्यादेश लाने जा रही है, उस पर वह प्रतिबंध लगाए और काम के घंटे 8 से घटाकर 6 करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को काम मिल सके।
2. प्रवासी मजदूरों के घर वापसी को सुनिश्चित किया जाए। उनके लिए बसों, ट्रेनों एवं हवाई जहाज की व्यवस्था की जाए। उनसे किसी भी प्रकार का कोई शुल्क ना लिया जाए।
3. जो मजदूर अपनी इच्छा से विभिन्न राज्यों के औद्योगिक क्षेत्रों में ही रहना चाहते हैं, उनके लिए रहने तथा खाने-पीने की व्यवस्था की जाए।
4. सभी प्रवासी तथा ग्रामीण मजदूरों को ₹2000 बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
5. केंद्र सरकार यह घोषणा करें कि जब तक लॉकडाउन है किसी भी मजदूर से मकान मालिक किराया न ले। वह लॉकडॉन का किराया माफ कर देने का आदेश पारित करें।
6. भूख से मरने वाले मजदूरों के परिवारों को ₹500000 राज्य सरकार देने की घोषणा करें।
7. कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार मजदूरों को मास, साबुन, सैनिटाइजर तथा अन्य आवश्यक सामग्री निशुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे।
भवदीय
इन्द्रजीत कुमार (अध्यक्ष)
भगत सिंह छात्र युवा संगठन
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