Tuesday, May 19, 2020

रिपोर्ट 19 मई 2020

वार्ड नंबर 46, हाउसिंग कॉलोनी, विजय नगर, कांटी फैक्ट्री रोड, कंकड़बाग, पटना के किराए पर रहने वाले मजदूरों से लिया गया इंटरव्यू का संक्षिप्त रिपोर्ट।
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आज दिनांक 19/05/2020 को वार्ड नंबर 46, हाउसिंग कॉलोनी, विजय नगर, कांटी फैक्ट्री रोड, कंकड़बाग, पटना के किराए पर रहनेवाले मजदूरों और घरेलू महिला कामगारों से मैंने और हमारे साथी रंजीत कुमार ने बातचीत की और उनकी समस्याओं को समझा।

बिहार की नीतीश सरकार प्रतिदिन शहरी और ग्रामीण मजदूरों को राशन देने की बात कर रही है, लेकिन उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। पटना शहर में रहनेवाले अधिकतर किरायेदार मजदूरों को कोई राहत सामग्री अभी तक उपलब्ध नहीं हो सका है। हम मजदूरों की जिस बस्ती में गये थे उसकी वार्ड पार्षद पुनम शर्मा हैं। मजदूरों का कहना था कि पुनम शर्मा ने एक बार भी उनके इलाके में आकर उनका हालचाल नहीं पूछा। यहां तक कि उनके पास जाने पर केवल आश्वासन दिया गया। कुछ मजदूरों का फॉर्म भराया गया है, लेकिन अभी तक उन्हें कोई सहायता राशि प्राप्त नहीं हुआ है। वहां के कई मजदूरों को हमारे यूनियन की तरफ से कुछ सहायता सामग्री दी गई थी, लेकिन वह भी उनके लिए पूरा नहीं था। वे आज भी इधर-उधर से कर्ज लेकर अपना जीवन चला रहे हैं। आलिशान अपार्टमेंट में झाड़ू-बर्तन का काम करने वाली कामगार महिलाओं को उनके मालिकों ने उन्हें काम से निकाल दिया है। एक-दो रहमदिल मालिकों को छोड़कर बाकी ने उन्हें लॉकडाउन में किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की। यह वही मध्यम वर्ग है, जो मोदी के कहने पर थाली पीटते हैं और दीया जलाकर इस संकट में भी दीपावली मनाते हैं ‌। आज इनकी इंसानियत की पोल भी खुल गई है। मजदूर इस तनाव में जी रहे हैं कि वे मकान का किराया कैसे देंगे ? उनका काम-धाम बंद है और मकान मालिक किराया देने के लिए उन पर लगातार दबाव बना रहे हैं। अधिकतर मजदूर काम की तलाश में पुलिस से छिपते-छिपाते इधर-उधर मारे-मारे फिरते हैं, फिर भी उन्हें कोई काम नहीं मिलता है। सभी मजदूरों का कहना है कि वे कोरोनावायरस से बाद में मरेंगे, लेकिन उससे पहले उन्हें भूखे मार देगा। अतः सरकार किसी भी कीमत पर उन्हें काम दें और तक तक के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करें। अपनी बात रखनेवालोें में गणेश शाह(राजमिस्त्री), दिलीप कुमार (निर्माण मजदूर), चांदनी देवी (सब्जी-बिक्रेता), कृष्णा देवी (घरेलू कामगार), सोनी देवी (घरेलू महिला, लेकिन पति मजदूर), रिंकु देवी ( घरेलू कामगार), बबीता देवी (घरेलू कामगार) तथा धनंजय कुमार (राजमिस्त्री) थे।

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