आम मध्यमवर्गीय आदमी तटस्थ भाव से हर झूठी अफ़वाह पर भरोसा करता हुआ घर में दुबका रहता है। उसका रोल कुल इतना है कि वह डरे, नफ़रत करे और अफ़वाह फैलाए।
*हरिशंकर परसाई*
वो तुम्हें हिन्दू मुसलमान, जात-पात, ऊंच-नीच में उलझायेंगे, लेकिन तुम मजदूरी-मुनाफा, गरीबी-अमीरी, महंगाई, स्वास्थ, अर्थव्यवस्था पर टिके रहना, देखना कैसे वे भाग खड़े होते है।
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