सांप्रदायिक दंगा
कवि आदम गोंडवी ने पुछा
गलती बाबर की थी जुम्मन का घर क्यों जले ?
गलती हमेशा शासक वर्ग की होती है
घर क्यों जुम्मन का या गंगुआ तेली का जलता है ?
एक कवि ने पुछा
दंगों का कारण क्या है ?
कुछ लॊग कहते है
इसके पीछे लुच्चे लफंगे है
अवांछित तत्त्व है .
तो फिर कौन है वे ?
वे मंदिर खड़ा कर रहे है
वे मस्जिद खड़ा कर रहे है
वे मंदिर ध्वस्त कर रहे है
वे मस्जिद ध्वस्त कर रहे है
लेकिन उनके पीछे कौन है ?
मंदिर तोडना मस्जिद खड़ा करना
मस्जिद तोडना मंदिर खड़ा करना
ये धर्म युद्ध नहीं है सिर्फ
ये जनयुद्ध तो बिलकुल नहीं है
पूंजीपतियों का आपसी युद्ध भी नहीं है ये सिर्फ
मेहनतकसजन के विरुद्ध सयुंक्त युध है उनका
धर्म उनका खुनी हथियार है
और सांप्रदायिक दंगा उनके जंग का ऐलान है
इस लिए धर्म पर उंगली उठाना जुर्म है
ताकि
धर्म की डोरी से हमेशा बंधे रहे हम
और जब चाहे वे हमें अपने युद्ध में खींच ले
उनकी कब्र खोदने को कभी सोचे भी नहीं
धार्मिक पाखंडो का हम शिकार होते रहे
जुम्मन और गंगुआ तेली कभी एक ना हो
उनकी हार जीत को हम अपना समझते रहे
हम मजदूर मजदूर नहीं रहे
हिन्दू रहे , मुस्लिम रहे इसाई रहे
और "सेक्युलर" तो हम रहेगे ही
हमारे खिलाफ जब भी वो
साजिश कर रहे हो एक ही दरी पर बैठ
अफीम के नशे की तरह बेसुध पड़े रहे हम
और कभी न जान पाए कि
हम बे-मंदिर बे-मस्जिद नहीं
उनके लूट के कारण बेघर है
अधनंगे है, भूखे है, वेहाल है
धर्मो के बीच मेल का पाखंड वे ही करते है
एक ही थैले के चट्टे -बट्टे
सभी धर्मो के गणमान्य पूंजीपति.
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