तुम वहाँ बैठते हो
पढ़ने के लिए।
और कितना खून बहा था
कि तुम वहाँ बैठ सको।
क्या ऐसी कहानियाँ तुम्हें बोर करती हैं?
लेकिन मत भूलो कि पहले
दूसरे बैठते थे तुम्हारी जगह
जो बैठ जाते थे बाद में
जनता की छाती पर।
होश में आओ!
तुम्हारा विज्ञान व्यर्थ होगा, तुम्हारे लिए
और अध्ययन बांझ, अगर पढ़ते रहे
बिना समर्पित किए अपनी बुद्धि को
लड़ने के लिए
सारी मानवता के सारे शत्रुओं के विरुद्ध
मत भूलो,
कि आहत हुए थे तुम जैसे आदमी
कि पढ़ सको तुम यहाँ,
न कि दुसरे कोई
और अब मत मूंदों अपनी आँखें, और
मत छोड़ो पढ़ाई
बल्कि पढ़ने के लिए पढ़ो
और पढ़ने की कोशिश करो कि क्यों पढ़ना है?
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